मंगलवार, 29 जनवरी 2008

दर्द को...............

दर्द को दिल में उतर जाने दो
आज उनको भी कहर ढाने दो

रात हर चाँद से होती नहीं मसरुफे-सुखन
स्याह रंगो के नजारे भी नजर आने दो

एक अनजानी सी तनहाई, सदा रहती है
आज महफिल में उसे नज्म कोई गाने दो

जिनने दरियाओं के मंजर ही नहीं देखे हैं
उन सफीनो पे-भी अफसोस जरा करने दो

कोई वादे को निभा दे यहाँ ऐसा तो नहीं
सर्द वादों को कोई राह नई चुनने दो

चंद कुछ राज यहाँ यूँ ही दफन होते नहीं
आज अपना ही जनाजा मुझे ले जानेदो

vikram

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